हाई कोर्ट ने सरकार से कहा फीस रेग्युलेटरी एक्ट लागू करने जानकारी जल्द दे

इंदौर
मप्र में प्राइवेट स्कूलों की फीस को लेकर शुक्रवार को मप्र हाईकोर्ट की जबलपुर खंडपीठ में सुनवाई हुई। इसमें जागृत पालक संघ, एसोसिएशन ऑफ अनएडेड प्राइवेट स्कूल और सोसायटी ऑफ एजुकेशन एण्ड वेलफेयर एसोसिएशन समिति, सागर की याचिकाओं पर चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डबल बेंच के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने अपना पक्ष रखा। स्कूल एसोसिएशन की ओर से उनके वकीलों ने मांग रखी कि अब शासन के आदेशानुसार स्कूल खोले जा चुके हैं और उन्हें पहले की तरह पूरी फीस वसूलने व फीस बढ़ाने की छूट मिलनी चाहिए। वे बढ़ी हुई फीस पर सुप्रीम कोर्ट के राजस्थान केस में दिए गए अादेश के अनुसार अधिकतम 15 की छूट देने को पेरेंट्स सहमत हैं। इस पर जागृत पालक संघ की ओर से एडवोकेट अभिनव मल्होत्रा ने पक्ष रखा कि मप्र में फीस रेग्युलेटरी एक्ट 2018 में लागू हो चुका है। इसके तहत प्राइवेट स्कूलों को 90 दिनों में बीते सालों की ऑडिटेड बेलेंस शीट जिला समिति को पेश करना थी, जो उन्होंने नहीं की है और न ही उसके बाद इसका पालन किया है। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि फीस रेग्युलेटरी एक्ट को लागू करने के मामले में इंदौर जिले में जो भी कार्यवाही की गई है उसकी जानकारी 1 हफ्ते में कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करें।

जागृत पालक संघ की ओर से एडवोकेट अभिनव मल्होत्रा ने पेरेंट्स का पक्ष रखते हुए बताया कि वर्तमान में कोरोना पेंडेमिक पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है और स्कूलों का संचालन पूरी तरह शुरू नहीं हुआ है। इसके बावजूद कई स्कूलों ने मनमाने तरीके से फीस बढ़ा दी है, साथ ही फीस के कारण बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई, रिजल्ट और टीसी से वंचित कर रखा है जो कि कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि एक्ट के अनुसार ली जाने वाली पूरी फीस का ब्यौरा भी शासन को दिया जाना था और स्कूल द्वारा ली जाने वाली फीस का प्रस्ताव जिला समिति से पारित करवाना था लेकिन इसका पालन अभी तक नहीं हुआ है। ऐसे में जब तक स्कूलों द्वारा एक्ट के प्रावधानों का पालन नहीं किया जाता है तब तक प्राइवेट स्कूलों को फीस वृद्धि का अधिकार नहीं दिया जा सकता। वर्तमान में पेंडेमिक की स्थितियों को देखते हुए पिछले साल के अनुसार ही केवल ट्यूशन फीस लिए जाने संबंधित व्यवस्था ही जारी रहना चाहिए।

प्राइवेट स्कूलों की मांग निरस्त करें

पेरेंट्स का पक्ष रखते हुए एडवोकेट ने कहा सुप्रीम कोर्ट के राजस्थान के केस में दिए गए निर्णय का सवाल है, सुप्रीम द्वारा प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन द्वारा लगाई गई याचिका को निरस्त करते हुए मप्र हाई कोर्ट के नवम्बर 2020 के आदेश को ही सही माना है। उसके पालन के लिए सभी प्राइवेट स्कूलों द्वारा ली जा रही फीस को सार्वजनिक करने का आदेश पारित किया है इसलिए प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की यह मांग भी निरस्त की जानी चाहिए। इस पर कोर्ट ने अब शासन को फीस रेग्युलेटरी एक्ट को लागू करने की जानकारी एक हफ्ते में पेश करने को कहा है। जागृत पालक संघ के अध्यक्ष एडवोकेट चंचल गुप्ता ने बतायास कि याचिका की अगली सुनवाई होने तक हाई कोर्ट द्वारा पूर्व में दिया गया निर्णय ही मान्य होगा। इसके अनुसार प्राइवेट स्कूल केवल ट्यूशन फीस ही ले सकेंगे और इसमें किसी तरह की वृद्धि नहीं कर सकेंगे और न ही फीस के अभाव में बच्चों को पढ़ाई, परीक्षा या किसी अन्य सुविधा से वंचित करेंगे।

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