घर की Negative energy दूर करने के लिए साल में 1 बार करें ये काम

वास्तु का अर्थ है तालमेल, प्रकृति का मनुष्य के साथ। जब तक मनुष्य प्रकृति के साथ तालमेल बनाकर चलेगा तब तक वह स्वस्थ और प्रसन्न रहेगा, परंतु प्रकृति से दूर होने एवं बनावटी जीवन बनाने पर वह दुखी रहेगा। इस संतुलन में थोड़ी भी कमी हुई तो शरीर के अंदर स्थित चक्र अथवा पंच तत्वों के संतुलन में भी गड़बड़ी होगी। इसे संतुलित रखने के लिए प्रतिदिन वास्तु पुरुष की प्रार्थना करें। दक्षिण-पश्चिम दिशा अगर कट गई हो या घर में अशांति हो तो साल में 1 बार पितृशांति, पिंडदान, नागबली, नारायण बली इत्यादि करें।
 
प्रत्येक सोमवार और अमावस्या के दिन रुद्राभिषेक का पाठ करें।

घर में गणपति की मूर्ति या छवि रखें।

प्रत्येक घर में पूजा कक्ष बहुत जरूरी है। उसमें अपने इष्ट देव को स्थापित करें और सुबह-शाम उनके आगे दीपक लगाकर धूप करें।

नवग्रह शांति के बिना गृह प्रवेश नहीं करें।

जो मकान बहुत वर्षों से खाली हो उसको वास्तुशांति के बाद में उपयोग में लेना चाहिए। वास्तु शांति के बाद उस घर को तीन महीने से अधिक समय तक खाली नहीं रखें।

भंडार घर कभी भी खाली नहीं रखें।

घर में जहां पानी से भरा मटका हो वहां पर रोज सांझ को दीपक जलाएं।

प्रति वर्ष ग्रह शांति कराएं, क्योंकि हम अपने जीवन में बहुत से पाप करते रहते हैं।

लाल रेती, काजू, पौला को लाल कपड़ों में रख कर मंगलवार को पश्चिम दिशा में रखें और उसकी पूजा की जाए तो घर में शांति की वृद्धि होती है।

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