महिला समूहों का 13 करोड़ का कालातीत ऋण माफ

रायपुर
कबीरधाम जिले के बंसत यादव ने डीएमएफ मद से किए जा रहे कार्याे की सफलता के बारे में मुख्यमंत्री से जानना चाहा। उन्होंने बताया कि कबीरधाम जिले में डीएमएफ मद से शिक्षित युवाओं को शाला संगवारी के रूप में रोजगार दिया जा रहा है। बाइक एम्बुलेंस तथा सुपोषण अभियान जैसे कामों में मदद की जा रही है।

जिला स्तर पर विशेष रणनीति से विकास की नई राह विषय पर बातचीत करते हुए युवाओं के सवालों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि डीएमएफ की राशि वास्तव में उन क्षेत्रों की अमानत है, जहां खनन गतिविधियों के कारण पर्यावरण, स्वास्थ्य, रोजगार, शिक्षण, पोषण आदि गतिविधियों पर असर पड़ता है। मुख्यमंत्री बनने के बाद मैंने डीएमएफ की राशि के उपयोग के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए, जिससे इस राशि का उपयोग वास्तव में खनन प्रभावित क्षेत्रों के लोगों के विकास में, पुनर्वास में हो सके। बघेल ने कहा कि इस मद की राशि से कबीरधाम जिले में 100 से अधिक शिक्षित युवाओं को शाला संगवारी के रूप में रोजगार दिया जा रहा है। ग्रामीण और वन क्षेत्रों में संचालित स्वास्थ्य केन्द्रों में द्वितीय एएनएम के रूप में 80 से अधिक स्थानीय युवाओं को रोजगार दिया जा रहा है। साथ ही डीएमएफ के माध्यम से बड़ी राशि अधोसंरचना विकास के लिए दी गई है। जिला अस्पताल को अपग्रेड किया जा रहा है। विशेषज्ञ चिकित्सकों और हेल्थ स्टाफ की नियुक्ति की गई है। वन क्षेत्रों में बाईक एम्बुलेंस गंभीर रूप से बीमार लोगों के लिए संजीवनी साबित हो रही है। कबीरधाम जिले में मातृत्व स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत सुरक्षित संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए मोटर बाइक एम्बुलेंस सेवा संचालित हो रही है। वन क्षेत्रों-जैसे दलदली, बोक्करखार, झलमला, कुकदूर, छीरपानी में इसका अच्छा असर हुआ है। इससे 2 हजार से अधिक गर्भवती माताओं को संस्थागत प्रसव कराने और उन्हें सुरक्षित घर छोड?े में मदद मिली है। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान में डीएमएफ की राशि का उपयोग काफी कारगर साबित हुआ है। कुपोषित बच्चों को अतिरिक्त पौष्टिक आहार अंडा और केला देने की शुरूआत की गई। 1 से 3 वर्ष के बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्रों में गर्म भोजन दिया जा रहा है। जिले में 2019 के वजन तिहार के मुकाबले, वर्ष 2021 में कुपोषण की दर 19.56 प्रतिशत से घटकर 13 प्रतिशत हो गई है। यह एक बड़ी उपलब्धि है। ऐसी ही रिपोर्ट हर जिले से मिल रही है। जिसके कारण प्रदेश में कुपोषित बच्चों की संख्या में 32 प्रतिशत की कमी आई है। हमें नई सोच और नए उपायों से छत्तीसगढ़ को पूर्णत: कुपोषण मुक्त राज्य बनाना है।

राजनांदगांव जिले के ग्राम मनगटा के प्रियंबिका स्व-सहायता समूह की सुश्री रामेश्वरी साहू ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा ग्रामीण महिलाओं की आय बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। वे स्वयं गौठान में वर्मी कम्पोस्ट के निर्माण सहित विभिन्न गतिविधियों से जुड़ी है। उनके गांव की 28 समूहों की 50 दीदियों ने रक्षा बंधन पर्व पर धान, बीज, गेहूं, चावल, बांस की राखियों का निर्माण किया था। ई-कॉमर्स पर लगभग दो लाख 30 हजार से अधिक राशि की 25 हजार से अधिक राखियों का देश-विदेश में आॅनलाईन व आॅफलाईन विक्रय किया गया। उन्होंने बताया कि हम लोगों द्वारा बनाई गई राखी राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने अमेजान से मंगाकर आपको बांधी थी। उन्होंने कहा कि हम लोग द्वारा बनाई राखी पहनकर आपने हमारा मान-सम्मान बढ़ाया, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ में महिला स्व-सहायता समूहों को मजबूत करने के लिए अनेक कदम उठाएं गए हैं। हमारी बहनों ने भी रोजगार मूलक कार्यों में दिलचस्पी दिखाई है। इसके साथ-साथ ही अपने गांव की सुरक्षा और कुरीतियों के खिलाफ जंग छेड?े के साथ समूह की महिलाओं ने अनेक नवाचार किए हैं और अपने परिवार को स्वावलंबी बनाया है। तीजा-पोरा के अवसर पर महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा महिला कोष से लिए गए लगभग 13 करोड़ रूपए के कालातीत ऋण माफ किया गया। इससे अब वे नया ऋण ले सकेंगी। महिला कोष से महिला समूहों को दी जाने वाली राशि दो करोड़ रूपए से बढ़ाकर 10 करोड़ रूपए कर दी गई है और ऋण सीमा को एक लाख से बढ़ाकर 2 लाख कर दिया गया है। इससे महिला समूहों को अपने कारोबार के विस्तार में कोई समस्या नहीं होगी। राजनांदगांव जिले के महिला समूहों द्वारा बनाई गई लगभग 22 हजार 480 राखियों का विक्रय ई-कॉमर्स के माध्यम से हुआ है। वर्मी कम्पोस्ट की बिक्री भी ई-कॉमर्स पर करने की व्यवस्था की गई है, इससे महिला समूहों को नया बाजार मिलेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *