शिवपाल को क्यों आई मुलायम के चरखा दांव की याद, चाचा भतीजे के बीच गठबंधन में कौन बन रहा है शकुनी
लखनऊ
उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों की जोर आजमाइस शुरू हो गई है। सबसे ज्यादा दिलचस्प कहानी शिवपाल यादव और उनके भतीजे के बीच गठबंधन को लेकर सामने आ रही है। शिवपाल ने सामाजिक परिवर्तन यात्रा के तहत इटावा में कहा की युद्ध में सब नाश हो जाता है। इसके लिए उन्होंने महाभारत के कई किरदारों का उल्लेख किया साथ ही यह भी कहा कि नेताजी से हमने चरखा दाव और धोभी पाठ भी सीखा है। शिवपाल ने यह भी कहा कि 40 साल तक इसको आजमाया है आगे भी आपको ये देखने को मिलेगा। शिवपाल की ये बेरुखी परिवार के प्रति क्यों हैं। क्या अखिलेश-शिवपाल के बीच सुलह में कोई शकुनी का रोल अदा कर रहा है। शिवपाल का इशारा क्या प्रो रामगोपाल यादव की तरफ है क्योंकि दोनों की काफी पुरानी अदावत रही है।
सामाजिक परिवर्तन यात्रा पर निकले शिवपाल ने अखिलेश यादव को 11 अक्टूबर तक की डेडलाइन तय की थी लेकिन भतीजे की तरफ से कोई जवाब न आने से वो काफी निराश हैं। शिवपाल ने इसको लेकर महाभारत के ऐतिहासिक युद्ध का जिक्र किया। शिवपाल ने बिना किसी का नाम लिए बगैर बड़ी बात कही। कहा कि जुड़ा खेलना ठीक नहीं है। कहा कि महाभारत में दो किरदार शकुनी और धृतराष्ट्र थे। धृतराष्ट्र को जुआ दुर्योधन से खिलाना चाहिए था लेकिन इस समय शकुनी के माध्यम से जुआ खेला था जो चालबाज था। मामला परिवार का था। जुवा खेलते तो दुर्योधन से खेलते।
शिवपाल यही नहीं रुके। उन्होंने परिवार के सियासी युद्ध को संकेतों के माध्यम से आगे रखने का प्रयास किया। शिवपाल ने कहा कि महाभारत में भी दुर्योधन को बड़े बुजुर्गों ने समझाया था लेकिन वह नहीं माना। परिवार के बीच ही महायुद्ध हुआ और उसका नतीजा क्या निकला सबको पता है। सबकुछ नाश हो गया। जब युद्ध होता है तो सब कुछ नाश हो जाता है।
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के चीफ शिवपाल यादव सामाजिक परिवर्तन यात्रा के तहत इटावा पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि नेताजी के साथ 40 साल तक काम किया। इस दौरान चरखा दाव और धोबी पाठ आजमाकर कई लोगों को पार्टी से जोड़ा था। अभी ये दाव भुला नहीं हूं। राजनीति में आगे भी इस दाव कि अहमियत बनी हुई है और आपको देखने को भी मिलेगा। अभी भी सुलह के रास्ते बंद नहीं हुए है।