चुकंदर का खास जूस पीते ही ढेर हो जाएंगे मच्छर
मच्छरों को भी जहर देकर मारा जा सकता है। स्वीडन के वैज्ञानिकों ने ऐसा ही प्रयोग किया है। मलेरिया के मामले घटाने के लिए मच्छरों को जहरीला चुकंदर का जूस पिलाया गया। मच्छरों ने इसे इंसानी खून समझकर पिया और कुछ ही समय में उनकी मौत हो गई।
यह प्रयोग स्वीडन की कंपनी मॉलिकुलर अट्रैक्शन ने किया है। कंपनी का कहना है, वर्तमान में मच्छरों को कंट्रोल कर पाना मुश्किल होता जा रहा है, लेकिन नए प्रयोग से मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों की संख्या को घटाना आसान हो सकेगा। ऐसे किया प्रयोग: ऐसे मरीज जो मलेरिया से जूझ रहे हैं, उनके ब्लड में ऌटइढढ मॉलिक्यूल पाया जाता है। यह मॉलिक्यूल खास तरह की गंध छोड़ता है, जिससे मच्छर आकर्षित होते हैं और इंसान का अधिक खून पीते हैं। वैज्ञानिकों ने इसी खूबी को इस्तेमाल करते हुए मच्छरों को मात देने के लिए प्रयोग किया। इसके लिए चुकंदर के जूस में ऌटइढढ मॉलिक्यूल और पौधे से निकाला गया खास तरह जहर मिलाया गया। यह मिश्रण तैयार होने के बाद मच्छर इसकी तरफ आकर्षित हुए और इस लिक्विड को अधिक पिया। कुछ ही समय बाद इसे पीने वाले सभी मच्छर मर गए।
कीट-पतंगों की दूसरी प्रजाति को आकर्षित नहीं करता
कंपनी का कहना है, एचएमबीपीपी मॉलिक्यूल की खास बात है कि ये दूसरों कीट-पतंगों को आकर्षित नहीं करता। इसलिए मच्छरों को खत्म करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। अन्य हानिकारक कीटनाशकों की तुलना में मच्छरों को खत्म करने के लिए इस मिश्रण की बेहद कम मात्रा में जरूरत पड़ती है। यह मिश्रण जीका, वेस्ट निले वायरस, डेंगू और येलो फीवर जैसी बीमारियों के मामले में काम नहीं करता। मलेरिया फैलाने वाली मच्छर की 5 प्रजाति पर किया प्रयोग: कंपनी के सीईओ लेक इग्नाटोविच का कहना है, खास तरह का मिश्रण एनाफिलीज मच्छरों की 5 तरह की प्रजाति को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रहा है। यही मच्छर मलेरिया को फैलाने के लिए जिम्मेदार हैं। लेक का कहना है, हमारा लक्ष्य पूरी तरह से मच्छरों को खत्म करना नहीं है। हम उस बीमारी को खत्म करना चाहते हैं जो मच्छर अपने साथ लाते हैं। हम इंसानों के आसपास मॉस्क्यूटो-फ्री जोन बनाना चाहते हैं। मच्छरों का खत्म करने का तरीका खासकर अफ्रीका जैसे देशों में कारगर साबित होगा जहां मलेरिया के सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं। दुनियाभर में मलेरिया को रोकने के लिए कोशिशें जारी हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 7 अक्टूबर को दुनिया की पहली मलेरिया वैक्सीन पेश की। इसे फार्मा कम्पनी ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन ने तैयार किया है। यह वैक्सीन खासतौर पर अफ्रीका के उन इलाकों के लोगों को लगाई जाएगी जहां मलेरिया के सबसे ज्यादा मामले हैं।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, मलेरिया की वजह प्लाजमोडियम फैल्सिपेरम नाम का परजीवी है। जो मच्छर को संक्रमित करता है। जब संक्रमित एनाफिलीज मच्छर इंसान को काटता है तो यह परजीवी इंसान तक पहुंच जाता है और वह मलेरिया से जूझता है। बुखार, सिरदर्द, कंपकंपी, मांसपेशियों में दर्द और मिचली आना इसके लक्षण हैं।
मलेरिया से हर साल 4 लाख मौतें
दुनियाभर में हर साल मलेरिया से 4 लाख लोगों की मौत होती है। वर्ल्ड मलेरिया रिपोर्ट 2020 के मुताबिक, मलेरिया से होने वाली 90 फीसदी मौतें अफ्रीका में हुईं, इसमें 2,65,000 से अधिक बच्चे थे। यहां 2000 में मलेरिया के 7,36,000 मामले थे जो 2018 तक घटकर 4,11,000 हो गए। 2019 में मलेरिया के 4,09,000 मामले सामने आए।