देवताओं की नगरी में गौवंश सरंक्षण का कदम हो सकता है प्रेरणादायी

देवास
शारदीय नवरात्रि महोत्सव के दौरान 12 अक्टुबर को एक ऐतिहासिक निर्णय सामने आया कि शहर के बायपास मार्ग पर स्थित विशाल शंकरगढ़ पहाड़ी पर गोवर्धन होगा। गौमाता के संरक्षण, संवर्धन के लिये संस्था अभिरंग द्वारा गौशाला संचालित की जायेगी। गायों के संरक्षण, संवर्धन को लेकर विधायक गायत्रीराजे पवार की विशेष पहल पर संस्था अभिरंग को शंकरगढ़ पहाड़ी क्षेत्र में गौशाला संचालित करने का विशेष दायित्व सौंपा गया।

विधायक श्रीमंत राजे की अनुशंसा पर रियासत के महाराज विक्रमसिंह पवार द्वारा शहर के सामाजिक कार्यकर्ता आनंद कोठारी को गौशाला का संरक्षक मनोनीत किया गया। देखा जाये तो गोवर्धन का तात्पर्य ही गो के वर्धन-संवर्धन एवं सरंक्षण से जुड़ा हुआ है। गोवर्धन का अपना इतिहास एवं धार्मिक महत्व है। जहां सम्पूर्ण ब्रजधाम की गाये विचरण करती थी। मान्यता अनुरूप एक समय गोवर्धन की विशालता इतनी थी कि सूर्य को भी ढक लेता था। ऋषि के श्राप के कारण इसका आकार प्रतिदिन तिल तिलकर घटता जा रहा है। गौपालक भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन की पूजा प्रारंभ करवाई। गोवर्धन जी को गिरिराज जी के नाम से भी जाना जाता है। शहर से ही अनेक श्रद्धालु गिरिराज जी की सात कोसी अर्थात 21 किलोमीटर की परिक्रमा करने जाते है। दीपावली के अवसर पर गोवर्धन सजाया जाता है।

यदुवंशी समाज आज भी दीपावली के अवसर पर मॉ लक्ष्मी के साथ गोवर्धन का निर्माण कर गोवंश की पूजा करता है। इस दृष्टि से गोवर्धन का नाम ही अपने आप में विशेष महत्व एवं भव्यता लिये हुए है। संस्कृति, कला, सामाजिक एवं गौ सेवा से जुड़ी संस्था अभिरंग के अध्यक्ष बसंत वर्मा, ललित आयाचित  ,भगवान सिंह कछावा, विजय यादव, चंचल गावडे, विजय सोलंकी, अंकुर बैरागी, आशीष विश्वकर्मा ,प्रतीक भीलवाकर, गौरव रोकड़े ने विक्रमसिंह पवार के नेतृत्व एवं श्री कोठारी के संरक्षण में गौमाता के संरक्षण, संवर्धन के लिये शंकरगढ़ पहाड़ी पर गौशाला संचालन में सेवाएॅ प्रदान करने के प्रति कटिबद्धता प्रकट की है। शंकरगढ़ पहाड़ी पर गोवर्धन एवं गौशाला के संचालन में  शासन के साथ वृह्द स्तर पर सामाजिक भागीदारी की महती आवश्यकता है। शंकरगढ़ पहाड़ी के भी संरक्षण की जरूरत है। सीमेंटेड निर्माण के लिये बड़ी बड़ी मशीने जो दिन रात शंकरगढ़ पहाड़ी की छाती को चीर रही है, उसे रोकना पडेÞगा। दिनभर गोवंश गोवर्धन (शंकरगढ़ पहाड़ी) पर विचरण करे और शाम को सकुशल गोशाला में आकर ठहर जाये।

देवो की नगरी देवास में मॉ शक्ति की आराधना के महापर्व के दौरान लिया गया गोवर्धन एवं गौशाला का निर्णय सफल हुआ तो शहर में हजारों की संख्या में भटकते, हादसो के शिकार होते गोवंश को तो आश्रय, चारा-पानी मिलेगा ही। गोवंश संरक्षण, संवर्धन की दिशा में देश, प्रदेश के लिये एक प्रेरणादायी कदम हो सकता है। गोवर्धन एवं गौशाला का संचालन ही अपने आप में सम्पन्नता, समृद्धि, जीवन की पहचान है। स्वामी करपात्री महाराज के परम शिष्य एवं सर्वदलीय गौरक्षा मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजऋषि ठाकुर जयपाल नयाल बताते है कि गोमाता या गोवंश का रोम रोम मानव जीवन के लिये उपयोगी है।

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