खाद्य तेल सस्ता करने के मोदी सरकार के उपाय से नहीं मिल रहा उपभोक्ताओं को फायदा 

नई दिल्ली 
दिवाली से पहले खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों को काबू करने के लिए मोदी सरकार द्वारा आयात शुल्क में की गई कटौती का फायदा उपभाक्ताओं को नहीं मिल पा रहा। मंगलवार को दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में  सरसों, सोयाबीन, बिनौला और सीपीओ सहित विभिन्न खाद्य तेल-तिलहन कीमतों में तेजी रही। बाजार सूत्रों ने कहा कि सरकार ने सीपीओ पर आयात शुल्क में 13 रुपये किलो के बराबर कमी की, लेकिन उपभोक्ताओं को प्रति किग्रा पर मात्र 3-4 रुपये की राहत मिल रही है और इससे किसानों को भी कोई फायदा नहीं हो रहा।

सीपीओ में पामोलीन मिलाकर लगा रहे चूना
बाजार सूत्रों ने कहा कि आयात शुल्क घटाने का फायदा किसानों, उपभोक्ताओं को मिलता नहीं दिख रहा, इसका फायदा केवल विदेशी कंपनियों को ही मिलता है। कुछ आयातक विदेशों से कम आयात शुल्क वाले कच्चे पामतेल (सीपीओ) में पामोलीन मिलाकर मंगाने के बाद ऊंची दर पर बेच रहे हैं। सीपीओ पर जहां आयात शुल्क 8.25 प्रतिशत है, वहीं पामोलीन पर यह शुल्क 17.5 प्रतिशत है।
 

राशन की दुकानों से बेचा जाए खाद्य तेल 
सूत्रों ने कहा कि सरकार को आयात शुल्क कम करने के बजाय 80 और 90 के दशक की तरह गरीब लोगों को ऊंची कीमतों से राहत देने के लिए आयात करने के बाद राशन की दुकानों के माध्यम से खाद्य तेल बांटने पर जोर देने के बारे में सोचना चाहिए, क्योंकि आयात शुल्क कम करने से उपभोक्ताओं और किसानों को कोई फायदा नहीं होता और इसका फायदा केवल विदेशी कंपनियों को होता है।

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