पेनिकल माइट व भुरा माहू के प्रकोप से बचने कृषि वैज्ञानिकों ने दी सलाह
रायपुर। कृषि वैज्ञानिकों एव कृषि विभाग की टीम के द्वारा गत दिवस विकासखण्ड धरसींवा एवं अभनपुर के ग्रामों का निरीक्षण-भ्रमण किया गया। निरीक्षण के दौरान धरसींवा विकासखण्ड के ग्राम निलजा एवं जरौदा में धान की फसल में पेनिकल माइट का प्रकोप देखा गया। पेनिकल माइट से प्रभावित कृषकों को उपचार हेतु वरिष्ठ कीट वैज्ञानिक डा. बी.पी. कतलम एवं डॉ. विकास सिंह द्वारा स्पायरोमेसिफेन 22.9 प्रतिशत एस.सी. 150 मि.ली. प्रति एकड़ की दर से छिडकाव करने का सुझाव दिया गया एवं अगले वर्ष नया बीज उपयोग करने की सलाह दी गई।
अभनपुर विकासखण्ड के ग्राम छछानपैरी में धान की फसल में भूरा माहु से प्रभावित होने की सूचना प्राप्त होने पर प्रभावित खेतों का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान भूरा माहु का प्रकोप देखा गया, जिसके उपचार हेतु इमामेक्टिन बेंजोएट 1.5 प्रतिशत ,फिप्रोनिल 3.5 प्रतिशत एस.सी. 20 मि.ली. प्रति पम्प या 500 मि.ली. प्रति हेक्टेयर अथवा इमिडाक्लोरप्रिड 6 प्रतिशत , लेम्डा साइलोथ्रिन 4 प्रतिशत एस.एल. 120 मि.ली. प्रति एकड़ छिडकाव करने को सुझाव दिया गया।
कृषि रसायनों को छिडकाव के समय अपनाई जाने वाली सावधानियों के संबंध में कृषकों को अवगत कराया गया कि एक ही ग्रुप के रसायनों का छिडकाव नहीं करना चाहिये एवं छिडकाव करते समय पेट भरा हो, हाथ से दस्ताने का उपयोग, मुंह में कपडा बधां हो व हवा की दिशा में छिडकाव करने संबधी सावधानियां बरतनी चाहिये। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि कृषक के द्वारा फोरेट दवा का उपयोग किया गया था जिससे मि़त्र कीटों की संख्या प्रभावित हुई होगी। संभवत: भूरा माहु का प्रकोप अधिक बढ़ गया। भूरा माहु के फैलाव को रोकने के लिए कृषकों को सलाह दिया गया कि प्रभावित फसल एवं स्वस्थ फसल के बीच भौतिक दूरी बनाये जिससे स्वस्थ फसल प्रभावित न हो।