जीएसटी की दरों पर पुनर्विचार करने चेंबर ने सौंपा सिंहदेव को ज्ञापन
रायपुर। व्यवसायिक संघों के प्रतिनिधिमंडल ने छत्तीसगढ़ चेम्बर आॅफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के नेतृत्व में वाणिज्यकर मंत्री टी.एस. सिंहदेव को जीएसटी की दरों पर पुनर्विचार किये जाने के संदर्भ में ज्ञापन सौंपा। इस दौरान चेम्बर प्रदेश अध्यक्ष अमर पारवानी ने सिंहदेव को कुछ सुझाव भी दिए।
श्री पारवानी ने कहा कि प्रयोग की गई वाहन के विक्रय पर कम दर से जी.एस.टी. लगाई जानी चाहिए। चूंकि नये वाहनों का विक्रय बहुत हद तक पुराने प्रयोग किए गए वाहनों के विक्रय पर निर्भर है यदि प्रयोग किए गए वाहन अधिक संख्या में बिकेंगे तो नये वाहनों के विक्रय में भी तेजी आयेगी और राजस्व में वृद्धि होगी अत: प्रयोग किए गए वाहन करमुक्त किये जाने चाहिए। कृषि उपकरण (जैसे मोटर पम्प सेट, केवल पावर, पाईप, कन्ट्रोल स्टाटर आदि) पर क्रमश: 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत है चूंकि छत्तीसगढ़ प्रदेश,भारत कृषि प्रधान देश है, यहां किसानों की माली हालत ठीक नहीं है, उनके हितों को ध्यान में रखते हुए कृषि मोटर पम्प, डीजल पम्प, सबमर्सिबल पम्प, पाईप, केबल पावर, स्टार्टर कन्ट्रोल पैनल आदि आयटमों पर 5 प्रतिशत कर की दर की जानी चाहिए।
जीएसटी कौंसिल की बैठक में स्टेशनरी वस्तु पेन पर जीएसटी 12 प्रतिशत बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है, जो 1 अक्टूबर 2021 से लागू हो गया है। इसके से पश्चात् स्टेशनरीवस्तु पेन महंगे हो गये है। कोरोना काल में स्कूल-कालेज बंद होने के कारण स्टेशनरी व्यवसायी को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ा है। जीएसटी लागू करने के पूर्व, केन्द्र सरकार ने टैक्स में संशोधन कर एक देश-एक कर की बात की थी, लेकिन स्टेशनरी वस्तुओं को 5 टैक्स स्लेब में रखा गया है। जिस पर पूर्व में भी व्यापारियों द्वारा टैक्स में छूट देने हेतु निवेदन किया गया था, परंतु इस पर कोई संशोधन नहीं हुआ, बल्कि स्टेशनरी वस्तु में पुन: जीएसटी बढ़ा दी गई है। इससे निम्न वर्ग के विद्यार्थियों एवं स्टेशनरी विक्रेताओं को आर्थिक भार वहन करना पड़ रहा है। जबकि सरकार गांव-गांव साक्षरता अभियान चलाकर शिक्षा को बढ़ावा देने की बात कर रही है, इसके तहत स्कूल के बच्चों के शिक्षा संबंधी वस्तुओं को करमुक्त श्रेणी में रखकर स्कूली बच्चों को राहत दिलाने की कृपा करें।
चेम्बर प्रदेश अध्यक्ष अमर पारवानी ने कहा कि जीएसटी मे केक और पेस्ट्री को 18 प्रतिशत के टेक्स स्लैब में रखा गया है जबकि मिठाई को 5 प्रतिशत के स्लैब मे रखा गया है और दोनों ही उत्पाद के मूल कच्चा पदार्थ मैदा, तेल, शक्कर और डालडा है। सिर्फ बनाने की प्रक्रिया बदलने की वजह से किसी उत्पाद के टैक्स स्लैब को बदलना न्यायोचित नहीं है। केक, पेस्ट्री और बेकरी बिस्किट आदि को मिठाई की तरह 5 प्रतिशत कर की सीमा में रखना चाहिए। सायकल, ट्राई सायकल, सायकल रिक्शा एवं पार्टस में अभी जीएसटी के चारों स्लेब अर्थात 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत, 28 प्रतिशत, लागू है। ठीक उसी प्रकार जूते के व्यवसाय पर जीएसटी की 5 प्रतिशत एवं 12 प्रतिशत कर की दर लागू है।
कपड़ों पर जीएसटी दरों में कटौती के संबंध में हमारा देश पिछले 2 वर्षों से महामारी की स्थिति का सामना कर रहा है, पिछले 2 वर्षों में महामारी के कारण परिधान उद्योग अत्यधिक प्रभावित हुआ है, वर्तमान स्थिति को देखते हुए हम जीएसटी स्लैब में कमी के संबंध में सरकार से कुछ समर्थन की उम्मीद कर रहे थे, अब तक परिधान उद्योग में जीएसटी के 2 स्लैब 1000/से नीचे 5 प्रतिशत, और 1000/- से ऊपर 12 प्रतिशत है। श्री पारवानी ने अनुरोध किया कि 12 प्रतिशत जीएसटी स्लैब को 5 प्रतिशत स्लैब में परिवर्तित किया जाएगा एवं कपड़ों पर केवल एक ही कर की दर लागू होगी। यह परिधान व्यवसाय में अधिक मात्रा भी उत्पन्न करेगी, जिससे अंतत: अधिक कर संग्रह होगा, जिससे सरकार और परिधान उद्योग दोनों को लाभ होगा। 12 प्रतिशत स्लैब के जीएसटी स्लैब को घटाकर 5 प्रतिशत, स्लैब करने पर विचार किया जावे।
श्री पारवानी ने वाणिज्यिकर मंत्री सिंहदेव से अनुरोध किया कि समान व्यवसायों पर जीएसटी की विभिन्न दर लागू होने के कारण व्यापारियों को व्यापार में कर की गणना एवं लेखा-जोखा रखने में परेशानी हो रही है एवं संदेह की स्थिति उत्पन्न हो रही है। उपरोक्त सभी कारणों को ध्यान में रखते हुए उपरोक्त व्यवसायों में जीएसटी की दर एक ही स्लेब में ही रखा जाना उचित होगा। सिंहदेव ने ज्ञापन का ध्यानपूर्वक अवलोकन करने के पश्चात् सकारात्मक आश्वासन दिया। परिचर्चा में चेम्बर सलाहकार जितेन्द्र दोशी, परमानंद जैन, सुरिन्दर सिंह, प्रदेश अध्यक्ष अमर पारवानी, कोषाध्यक्ष उत्तमचंद गोलछा, कार्यकारी अध्यक्ष राजेन्द्र जग्गी, राम मंधान, उपाध्यक्ष- हीरा माखीजा, विजय शर्मा, मंत्री-शंकर बजाज, गोविंद माहेश्वरी, जवाहर थौरानी एवं सी.ए. मुकेश मोटवानी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।