‘देवउठनी एकादशी’ आज, जानिए पूजा-विधि और महत्व?
नई दिल्ली
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को 'देवउठनी एकादशी' कहते हैं। इस एकादशी का काफी मान है, ये शुभ दिन आज है। आज के बाद से ही बैंड–बाजा बारात का सीजन प्रारंभ हो जाता है। कब है देवउठनी एकादशी ?
'देवउठनी एकादशी' रविवार, नवंबर 14, 2021 को एकादशी तिथि प्रारम्भ – नवंबर 14, 2021 को 05:48 am एकादशी तिथि समाप्त -नवंबर 15, 2021 को 06:39 am पारण तिथि – नवंबर 15, 01:00 PM तुलसी विवाह देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन से ही सारे शुभ-मंगल कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। इस दिन मां तुलसी का विवाह भगवान सालिगराम ( श्री विष्णु के अवतार) से हो जाता है। इस दिन भगवान विष्णु अपनी निद्रा से उठते हैं और इसी कारण इसे 'देवउठनी एकादशी' कहते हैं। पूजा विधि सुबह-सुबह उठकर भगवान विष्णु के लिए व्रत करें। फिर एक साफ स्थान पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर रखें। उन्हें फल, मिठाई अर्पित करें। घरों के बाहर दीये जलाए जाते हैं। भगवान विष्णु की पूजा करें, आरती करें और प्रसाद बांटे।
क्या है उनका काशी से संबंध? महत्व कहते हैं सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु हैं, जिनकी कृपा से ही इंसान के सारे कष्ट दूर होते हैं और उनको हर सुख मिलते हैं। विष्णु जी की पूजा करने से इंसान को सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के मंत्र ॐ विष्णवे नम:। ॐ हूं विष्णवे नम:। ॐ नमो नारायण। ॐ वासुदेवाय नम:। ॐ नारायणाय नम:। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः।