पंढरीनाथ मंदिर से संत काशीकर महाराज की वेशभूषा में निकली दिंडी यात्रा
बिलासपुर
धार्मिक और ऐतिहासिक नगरी रतनपुर के बड़ी बाजार में स्थित छत्तीसगढ़ के सबसे प्राचीन भगवान पंढरीनाथ का एकमात्र यह अनूठा मंदिर है जो मराठी धर्म संस्कृति और आस्था का प्रमुख केंद्र है जहां महाराष्ट्र पंढरपुर के भक्ति की परंपरा आज भी जारी है।
इस मंदिर की स्थापना कलचुरी शासनकाल के सत संवत-1725 लगभग 350 वर्ष पूर्व संत काशीकर महाराज के द्वारा भिक्षाटन से धन इक_ा करके करवाया गया था तथा इस मंदिर के गर्भगृह में काले ग्रेनाइट पत्थर से बने हुए भगवान वि_ल और देवी रुखमाई जी की कलात्मक अनूठा व जीवांत प्रतिमा बड़ा ही विलक्षण है जिसमे भगवान वि_ल जी अपने दोनो हाथ कमर में टिकाए हुए ईंट पर खड़े हुऐ है चूंकि छत्तीसगढ़ में यह मंदिर विरले ही है जो आज सर्वसमाज के लिये आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है।
इस मंदिर की स्थापना कलचुरी शासनकाल के सत संवत-1725 लगभग 350 वर्ष पूर्व संत काशीकर महाराज के द्वारा भिक्षाटन से धन इक_ा करके करवाया गया था तथा इस मंदिर के गर्भगृह में काले ग्रेनाइट पत्थर से बने हुए भगवान वि_ल और देवी रुखमाई जी की कलात्मक अनूठा व जीवांत प्रतिमा बड़ा ही विलक्षण है जिसमे भगवान वि_ल जी अपने दोनो हाथ कमर में टिकाए हुए ईंट पर खड़े हुऐ है चूंकि छत्तीसगढ़ में यह मंदिर विरले ही है जो आज सर्वसमाज के लिये आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है।