शराब माफियाओं से साठगांठ करके संपत्ति बनाने वालों पर कसेगा शिकंजा, बिहार सरकार ने बनाया ये खास प्लान
पटना
सरकार की नजर सिर्फ शराब माफियाओं और तस्करों तक सीमित नहीं है। वैसे अधिकारी-कर्मचारी जो शराब माफियाओं के साथ साठगांठ कर मोटी कमाई कर रहे हैं, उनकी संपत्ति की भी जांच होगी। राज्य सरकार ने अपने भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों को यह जिम्मा सौंप दिया है। शक के दायरे में आए कर्मियों की संपत्ति की छानबीन गुपचुप तरीके से शुरू भी कर दी गई है।
अवैध बालू खनन की तरह ही कार्रवाई
इसी वर्ष आर्थिक अपराध इकाई ने अवैध बालू खनन को लेकर बड़ी जांच की थी। जांच का दायरा उन जिलों में रखा गया था जहां बड़े पैमाने पर बालू का खनन होता है। भोजपुर, औरंगाबाद, रोहतास, पटना और सारण में प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की अवैध खनन में संलिप्तता की जांच के दौरान चौंकाने वाले खुलासे हुए थे। जांच रिपोर्ट के बाद ऐसे अधिकारियों की संपत्ति की जांच भी शुरू की गई जिनकी संलिप्तता अवैध खनन या परिवहन में शामिल माफियाओं के साथ पाई गई थी।
शराब के धंधेबाजों के मददगार पर नजर
सूत्रों के मुताबिक भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों को ऐसे अधिकारियों-कर्मचारियों की पहचान करने और उनकी संपत्ति की जांच करने का टास्क सौंपा गया, जिनपर शराब माफियाओं के मददगार होने का शक है। जांच एजेंसियां इस काम में जुट गई हैं। माना जा रहा है कि शराब की रोकथाम के लिए जिन एजेंसियों पर जिम्मेदारी है उसके अधिकारी और कर्मी जांच के दायरे में हैं। खासकर सीमावर्ती जिले के अधिकारियों और कर्मियों पर जांच एजेंसियां की पैनी नजर है। इसके अलावा वैसे अधिकारी-कर्मचारी भी जांच के दायरे में हैं जो लम्बे समय से फील्ड में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हैं।