सहकारिता से ही लोगों का विकास संभव – जोशी
रायपुर
सहकार भारती के रायपुर में आयोजित प्रदेश अधिवेशन में राष्ट्रीय महामंत्री उदय जोशी ने सहकार भारती के कार्यकतार्ओं को संबोधित करते हुए सहकार भारती के प्रासंगिक उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बिना संस्कार नहीं सहकार बिना सहकार नहीं उद्धार पर जोर दिया। सहकारिता के बिना लोगों और किसानों का विकास संभव नहीं है। उन्होंने विविध क्षेत्र में आर्थिक सामाजिक तथा सहकार क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने पर जोर दिया। साथ ही साथ सहकार विभाग राज्य और केंद्र शासन रिजर्व बैंक और राज्य में अंतर अन्य संस्थाओं में प्रतिनिधित्व देने में मदद करना, सहकार भारती की मांग पर केंद्र शासन ने अलग से सरकार मंत्रालय की घोषणा करते हुए अमित शाह को प्रथम सहकारी मंत्री बनाया गया। सहकार भारती केंद्र और राज्यों में सहकारिता के लिए सम्मान निधि की मांग भी कर रही है। जोशी ने त्रिस्तरीय प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के ढांचे में बदलाव का विरोध किया। इस ढांचे में अनावश्यक हस्तक्षेप को रोकने की बात कहीं ताकि समितियां अपना कार्य सहकारिता के मूल स्वरूप को कायम रखते हुए कर सके। सहकारी लोकतंत्र की रक्षा भी समय पर चुनाव कराकर की जा सके।
13 नवंबर को आयोजित सम्मेलन में सहकार भारती के मध्य क्षेत्र पालक विनय खटावकर ने सहकार भारती के प्रकोष्ठ रचना एवं प्रशिक्षण पर रोशनी डालते हुए सहकारी फेडरेशनों और सहकार भारती के प्रकोष्ठों को समरूप बताया। उन्होंने कहा की फेडरेशन की कार्यप्रणाली का प्रशिक्षण हम प्रकोष्ठों में देते हैं ताकि सहकारिता से जुड़े कार्यकर्ता फेडरेशन की गतिविधियों को समझ कर फेडरेशन में अपनी वास्तविक भूमिका निभा सके। विनय जी ने संगठन की संरचना कोई स्पष्ट करते हुए तहसील जिला संभाग एवं प्रदेश के कार्यकतार्ओं व पदाधिकारियों के दायित्वों को स्पष्ट किया।
सहकार भारती छत्तीसगढ़ के दो दिवसीय अधिवेशन के अंतिम दिवस सहकार भारती छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष एवं महामंत्री का निर्वाचन संपन्न हुआ। जिसमें सर्वसम्मति से वेद राम वर्मा को पुन: अध्यक्ष चुने गए वहीं महामंत्री के पद पर संगठन मंत्री रहे आशीष तिवारी को चुना गया। नवनिर्वाचित अध्यक्ष वेद राम वर्मा ने सहकार भारती के कार्यकतार्ओं को आभार व्यक्त करते हुए सहकारिता के क्षेत्र में एकजुट होने का आह्वान किया। महामंत्री आशीष तिवारी ने कार्यकतार्ओं का आह्वान करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के 25000000 की आबादी में मात्र 9000 सहकारी संस्थाएं हैं जिसमें से लगभग 10 प्रतिशत संस्थाएं निष्क्रिय अवस्था में है इसलिए हम सबको मिल जुलकर नई सहकारी समितियों के पंजीयन का काम करना है, ताकि सहकारिता के विभिन्न क्षेत्रों से गांव के देसी काम धंधों का स्वाभाविक विकास हो सके। दुग्ध के क्षेत्र में मात्र 1100 सहकारी समितियां हैं जबकि अभी हम कम से कम 5000 सहकारी समितियों को पंजीकृत कर के दुग्ध उत्पादक साथियों को इनकम बढ़ाने में सहयोग कर सकते हैं वही मछुआ सहकारी समितियों को तालाब बांध आदि लीज पर देने के लिए उसके विधान में कंपनी और फर्म शब्द को हटाना चाहिए पैक्स का निर्वाचन लोकतांत्रिक ढंग से करना चाहिए। सहकारिता पंजीयक के हस्तक्षेप से मुक्त किया जाना चाहिए। बुनकर सहकारी समितियों को प्रोत्साहित किए जाने की आवश्यकता है ताकि पावर लूम के जगह में हैंडलूम की उपयोगिता बड़े और अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिल सके।