अखिलेश-जयंत की दोस्ती रंग लाएगी? सपा-रालोद गठबंधन से कितना सधेंगे UP के जातीय समीकरण
लखनऊ
अखिलेश यादव ने पहले ही साफ कर दिया था कि इस बार वह बड़े दलों से गठबंधन नहीं करेंगे। सोमवार को समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के बीच गठबंधन की गांठ बंध गई है। दोनों पार्टियों में हुए समझौते के मुताबिक सपा रालोद को विधानसभा की करीब 36 सीटें देगी। इनमें से जयंत 30 सीटों पर रालोद और छह सीटों पर सपा के सिंबल पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे।
रालोद से गठबंधन से पहले अखिलेश ने केशव देव मौर्य के महान दल, डा. संजय सिंह चौहान की जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट), शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से गठबंधन किया है। ओमप्रकाश राजभर वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ थे। ओमप्रकाश राजभर गाजीपुर के हैं और आसपास के जिलों में राजभर जाति का अच्छा वोट बैंक है। जाहिर है, छोटे दलों से गठबंधन के पीछे अखिलेश की जातीय समीकरणों को साधने की रणनीति है जिसकी सफलता की कसौटी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के परिणाम होंगे। जहां तक रालोद का सवाल है तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कुछ सीटों पर उसका प्रभाव है। रालोद से दोस्ती कर अखिलेश की मंशा पश्चिम की जाट बेल्ट में स्थिति मजबूत करने की है।
यूपी की राजनीति में गठबंधन बनना और टूटना कोई नई बात नहीं है, लेकिन समय के साथ अखिलेश यादव की जयंत चौधरी के संग दोस्ती और गहराती जा रही है। विधानसभा चुनाव-2022 के लिए रालोद मुखिया जयंत चौधरी पर भले ही अन्य दलों ने डोरे डाले हों मगर उन्होंने सपा के साथ ही जाना मुनासिब समझा। सपा और रालोद के बीच चुनाव से पहले यह तीसरा गठबंधन है। समाजवादी पार्टी और रालोद के बीच पहला गठबंधन लोकसभा चुनाव वर्ष 2019 में हुआ। वैसे तो इस चुनाव में मुख्य गठबंधन सपा और बसपा के बीच हुआ, लेकिन अखिलेश ने अपने कोटे की तीन सीटें बागपत, मुजफ्फरनगर और मथुरा रालोद को देकर इसकी शुरुआत की। लोकसभा चुनाव में करारी हार और बसपा से गठबंधन तोड़ने के बाद भी अखिलेश ने रालोद का साथ नहीं छोड़ा।
विधानसभा चुनाव के लिए जब पार्टियां एक-दूसरे के संपर्क में थी तब जयंत चौधरी और प्रियंका गांधी की मुलाकात चर्चाओं में रही। कांग्रेस और रालोद के गठबंधन को लेकर भी कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन अखिलेश और जयंत की मंगलवार को हुई मीटिंग ने साफ कर दिया कि दोनों पार्टियां 2022 के चुनाव में भी साथ-साथ रहेंगी। जयंत मंगलवार को अखिलेश के आवास पर पहुंचे और दोनों के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ। सूत्रों का कहना है कि जयंत चौधरी 45 सीटों पर दावा कर रहे थे। उन्होंने तर्क रखा कि यूपी की 45 सीटों पर उनकी मजबूत पकड़ है। इस लिहाज से उन्हें इतनी सीटें दी जानी चाहिए। बैठक के बाद रालोद को 36 सीटें देने पर सहमति बनने की बात बताई जा रही है।
36 सीटों से कितनी मजबूत होगी रालोद
36 सीटों के अलावा जहां रालोद की स्थिति मजबूत होगी, वहां पर उसके सिंबल पर सपा अपना उम्मीदवार उतारेगी। सपा मुखिया अखिलेश यादव और रालोद प्रमुख जयंत चौधरी के बीच उनके आवास पर करीब दो घंटे चली बैठक में यह सहमति बनी। अखिलेश ने अपने ट्विटर हैंडल पर जयंत चौधरी के साथ फोटो ट्वीट कर गठबंधन पर मुहर लगाते हुए सभी चर्चाओं पर विराम लगा दिया।