जेवर एयरपोर्ट: जमीन अधिग्रहण के मुआवजे ने संवार दी 6 गांवों की तस्वीर

ग्रेटर नोएडा
जेवर एयरपोर्ट के लिए इलाके के छह गांव के किसानों की जमीन का अधिग्रहण पहले चरण में किया गया है। अधिग्रहण के बाद मिले मुआवजे की वजह से इन गांव के लोगों की जिंदगी खाफी हद तक बदल चुकी है। इन गांव के लोगों ने बड़ी-बड़ी लग्जरी गाड़ियां खरीद ली हैं। अब छोटे मकानों की जगह कोठियों ने ले ली है। इन किसानों ंने आसपास के जिलों में बड़े-बड़े फॉर्म हाऊस भी खरीद लिए हैं। जेवर एयरपोर्ट के पहले चरण में रोही, पारोही, किशोरपुर, रनहेरा, किशोरपुर और दयानतपुर गांव की जमीन गई है। रोही गांव तो अपने मजरों के साथ विस्थापित हुआ है। सबसे अधिक किसान इसी गांव के प्रभावित हुए हैं। किसानों को मुआवजा मिला है। उन्हें घर के बदले दूसरी जगह भूखंड दिए गए हैं। पैसा आने के बाद क्षेत्र में आर्थिक और सामाजिक बदलाव देखने को मिल रहे हैं। किसानों ने अपने भविष्य की चिंता की और खेती योग्य जमीन खरीदी। किसानों ने मथुरा, अलीगढ़, बुलंदशहर, हापुड़, गाजियाबाद, जहांगीरपुर, पिसावा और खुर्जा आदि में जमीन खरीदी है। किसानों ने पहले के मुकाबले दो से तीन गुना जमीन खरीदी है। जमीन देने वाले करीब 70 प्रतिशत किसानों ने यही काम किया है।

कार और बाइक वालों की संख्या बढ़ी
एयरपोर्ट में जमीन जाने के बाद मिले मुआवजे से किसानों ने खूब गाड़ियां खरीदीं। अकेले रोही गांव के करीब 200 किसानों ने कार खरीदी हैं। इस गांव में 100 बुलेट खरीदी गई हैं। किसानों का बुलेट के प्रति रुझान को देखते हुए कंपनी ने तो गांव में कैंप लगा दिया था। बुलेट की घर पर ही डिलीवरी दी थी।

साइकिल नहीं अब अब कार से फर्राटा भरते हैं
किसानों की लाइफ स्टाइल में भी बदलाव आया है। साइकिल से चलने वाले किसान अब कारों से फर्राटा भरते हैं। जिन किसानों ने दूसरी जगहों पर जमीन खरीदी है, वह अब खेतों में कार से पहुंचते हैं। किसानों का कहना है कि यह तरक्की तो है।

अपना व्यवसाय शुरू किया
मुआवजा मिलने के बाद कुछ किसानों ने अपना व्यवसाय शुरू किया है। किसी ने दुकान खोली तो कोई दूसरा व्यवसाय शुरू कर दिया है। जमीन देने वाले कुल किसानों में से केवल 1 से 2 प्रतिशत ने ही अपना काम-धंधा शुरू किया है। किसानों का कहना है कि यह जरूरी है कि अपना काम शुरू किया जाए। उनका कहना है कि जमीन जाने से पहले व्यवसाय करने के बारे में तो सोचते ही नहीं थे।

अब शहरवासी हो जाएंगे
नगला गणेशी के किसान कृष्ण कुमार भी अब जेवर बांगर में अपना घर बना रहे हैं। यहां पर सेक्टर की तरह की सुविधाएं देने का वादा किया गया है, यानी अब वह शहरवासी हो जाएंगे। वह बताते हैं कि उनकी आठ बीघा जमीन गई है। इसके बदले उन्होंने अलीगढ़ में अधिक जमीन खरीद ली है। यह परियोजना बेहतर है। उन्होंने कहा कि किसानों से जो वादे किए गए थे, वे पूरे नहीं हो पाए हैं। उन्हें पूरा किया जाना चाहिए।

150 बीघे का बाग खरीदा
रोही गांव के प्रधान रहे भगवान सिंह बताते हैं कि जमीन जाने के बाद किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। इस परियोजना में जितने किसानों की जमीन गई, उनमें से करीब 70 प्रतिशत किसानों ने दूसरी जगह जमीन खरीद ली है। सबसे अधिक जमीन बुलंदशहर जिले में खरीदी गई। अधिकतर लोगों ने अपने रिश्तेदारों के यहां जमीन खरीदी है। भगवान सिंह बताते हैं कि उन्होंने बुलंदशहर जिले में 150 बीघे का बाग खरीदा है।

आवासीय भूखंड भी लिए
दयानतपुर खेड़ा के किसान लोकेश छोकर बताते हैं कि पहले घर-जमीन जाने की जानकारी मिली तो बड़ी दिक्कत हुई, लेकिन इतनी बड़ी परियोजना के लिए जमीन तो देनी ही थी। किसानों ने दूसरी जगह जमीन और भूखंड खरीदे हैं। पहले पैसों की दिक्कत रहती थी, लेकिन जमीन का मुआवजा मिलने के बाद किसानों की आर्थिक सेहत सुधरी है। लोकेश ने बताया कि उन्होंने जमीन और आवासीय भूखंड खरीदे हैं।

 

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