चिचोली में ग्लैंडर्स पीड़ित पाया गया घोड़ा, दर्द रहित मौत देकर दफनाया
बैतूल
जिले के चिचोली में एक घोड़े में लाइलाज ग्लैंडर्स रोग की पुष्टि होने के बाद गुरुवार शाम उसे जहर के इंजेक्शन देकर दर्द रहित मौत की नींद सुला दिया गया। पशु चिकित्सकों की टीम और प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में तीन मीटर गहरा गड्ढा खोदकर उसे दफनाया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार चिचोली के वार्ड क्रमांक 15 में रहने वाले दिलीप राठौर के पालतू घोड़े के बीमार होने पर उसे पशु चिकित्सक द्वारा उपचार किया गया।
बीमारी का पता न चलने पर उसके रक्त के नमूने लिए गए और हिसार स्थित राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र की प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजे गए थे। जांच के दौरान घोड़े में ग्लैंडर्स की पुष्टि होने पर पशु चिकित्सा विभाग द्वारा नियमानुसार जिला कलेक्टर के आदेश के बाद गुरुवार घोड़े को किलिंग प्रक्रिया के तहत पशु चिकित्सा विभाग के अमले द्वारा पीपीई किट पहनकर चार दर्द रहित इंजेक्शन दिए गए।
इसके दस मिनट बाद डांसर नाम के घोड़े की मौत हो गई। उसकी मौत होने पर विधिवत रूप से तीन मीटर गहरा गड्ढा खोदा गया और उसे दफना दिया गया। दौरान पशु चिकित्सा विभाग के उप संचालक डा. केके देशमुख, डा विजय पाटिल, डा. आरके बंसल, डा. चंचल मेश्राम,डा केसी तंवर , तहसीलदार नरेश सिंह राजपूत, नगर परिषद चिचोली की टीम मौजूद रही।
चिचोली के पशु चिकित्सा अधिकारी डा. केसी तंवर ने बताया कि पशु पालक ने डेढ़ महीने पहले जिला पशु अस्पताल में बीमार घोड़े का इलाज करवाया था। घोड़े में नजर आए लक्षणों के आधार पर उसके रक्त के नमूने लेकर हिसार स्थित प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजे गए थे। जांच रिपोर्ट पाजीटिव आने पर नियमानुसार उसे मौत दे दी गई।
उन्होंने बताया कि ग्लैंडर्स एंड फार्सी एक्ट के तहत पशु पालक को 25 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। ग्लैंडर्स एक जेनेटिक बीमारी है जो ज्यादातर घोड़े, गधों और खच्चरों में होती है। इस बीमारी से पीड़ित पशु को मारना ही पड़ता है। अगर कोई पशुपालक इस बीमारी से ग्रसित पशु के संपर्क में आता है तो वह भी संक्रमण का शिकार हो सकता है। लाइलाज होने के कारण इस बीमारी से ग्रसित पशु को दर्द रहित मौत दे दी जाती है।