ममता ने बदल दिए हैं समीकरण- पूर्वोत्तर में अब कांग्रेस नहीं, बल्कि यह है BJP की असल दुश्मन

नई दिल्ली

पूर्वोत्तर में तृणमूल कांग्रेस के बढ़ते दखल का असर इस क्षेत्र के राजनीतिक समीकरणों पर पड़ सकता है। भविष्य में इस क्षेत्र में भाजपा व उसके नेतृत्व वाले पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन (नेडा) के लिए कांग्रेस के बजाय तृणमूल से चुनौती मिल सकती है। दरअसल, बीते सालों में भाजपा ने अपने कांग्रेस मुक्त पूर्वोत्तर अभियान के तहत इस क्षेत्र के सभी राज्यों की सत्ता से कांग्रेस को दूर कर दिया। ऐसे में कांग्रेस की कमजोर स्थिति का लाभ उठाते हुए तृणमूल ने इस क्षेत्र में पैर पसारने शुरू किए हैं और उसने कांग्रेस में सेंध लगानी भी शुरू कर दी है।

पूर्वोत्तर की भावी राजनीति के लिए मणिपुर का विधानसभा चुनाव काफी अहम होगा। क्योंकि, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में भाजपा की चुनौती को ध्वस्त कर तृणमूल इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा सक्रिय है। उसने कांग्रेस के कई प्रमुख नेताओं को अपने साथ जोड़ा भी है। मणिपुर में फिलहाल भाजपा के मुकाबले तृणमूल ही ज्यादा प्रभावी दिख रही है। तृणमूल ने यहां पर 2012 में सात और 2017 में एक सीट जीती थी, लेकिन अब कांग्रेस के कई प्रमुख नेताओं के भाजपा के साथ जाने के बाद वह प्रमुख विपक्ष के रूप में उभर रही है।

तृणमूल के एक और अहम राज्य त्रिपुरा के स्थानीय निकायों के चुनावों में भाजपा की आंधी के बीच तृणमूल ने सीट भले ही एक ही जीती हो, लेकिन उसने लगभग 20 फीसदी वोट बटोरे हैं। वहीं, कांग्रेस को लगभग दो फीसदी मत ही मिल पाए हैं। रणनीतिकारों का मानना है कि पूर्वोत्तर में राजनीतिक उठापटक व क्षेत्रीय दलों में आवाजाही नई बात नहीं है, लेकिन इस सबके बीच कांग्रेस एक बड़ी ताकत रही है, जिसे भाजपा ने बीते पांच सालों में कमजोर किया है। हालांकि, बंगाल की जीत के बाद ममता बनर्जी ने इस क्षेत्र में पैर पसारना शुरू किए हैं, लेकिन उससे भाजपा के बजाय कांग्रेस व वामपंथी दलों को नुकसान है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *