परिजन गिड़गिड़ाते रहे पर नहीं पिघला दिल,गंभीर मरीजों को भी नहीं किया भर्ती
नई दिल्ली
नीट पीजी की काउंसलिंग जल्द कराने की मांग कर रहे रेजिडेंट डॉक्टरों ने सोमवार को दिल्ली के कई बड़े अस्पतालों में इमरजेंसी सेवा नहीं चलने दी। मरीजों के परिजन गिड़गिड़ाते रहे पर फिर भी गंभीर रूप से बीमार लोगों को इलाज नहीं मिल सका। इस दौरान सफदरजंग अस्पताल में इलाज के लिए आई एक महिला की मौत हो गई। उनके पति ने डॉक्टरों पर मरीज को न देखने का आरोप लगाया।
सफदरजंग, राम मनोहर लोहिया, कलावती सरन और सुचेता कृपलानी अस्पताल में लगभग चार हजार रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से इमरजेंसी में आए गंभीर मरीजों को भी इलाज नहीं मिल सका। हड़ताल का आंशिक असर जीटीबी अस्पताल में भी रहा। इस दौरान लोकनायक और एम्स की इमरजेंसी चालू रही। इन दोनों अस्पतालों में मरीजों की कतार लगी रही।
सफदरजंग अस्पताल : भर्ती किए गए लोगों का भी बुरा हाल
सफदरजंग अस्पताल में हड़ताल का सबसे अधिक असर दिखा। यहां अस्पताल प्रशासन की वैकल्पिक व्यवस्था फेल साबित हुई। 1800 रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर होने से नए मरीजों को इलाज नहीं मिल पाया। वहीं, भर्ती मरीजों का भी बुरा हाल रहा। इमरजेंसी के बाहर एंबुलेंस कतार में खड़ी रहीं। कुछ मरीजों को मीडिया की उपस्थिति में अंदर भेजा गया, लेकिन थोड़ी देर बाद उनमें से कई मरीजों को बाहर निकाल दिया गया। वरिष्ठ डॉक्टर इमरजेंसी में थे, लेकिन लगभग 90 फीसदी डॉक्टर हड़ताल पर होने की वजह से इमरजेंसी सेवा लगभग ठप हो गई।