चुनाव के ऐलान से पहले ही UP में ऐक्शन मोड में क्यों हैं PM मोदी?, महीने भर में आठ दौरों से चप्पे-चप्पे को दी सौगात
नई दिल्ली
उत्तर प्रदेश की सियासी जमीन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेहद सक्रिय हैं। बीते एक माह में मोदी ने राज्य के आठ दौरों में प्रदेश के हर कोने में जाकर पूरे राज्य को मथ डाला है। इस दौरान उन्होंने राज्य के लोगों को न केवल तमाम विकास योजनाओं की सौगात दी है, बल्कि आस्था, धर्म, समाज के प्रति भी अपनी प्रतिबद्धता जताई है। मोदी के राज्य के दौरे आगे भी जारी रहेंगे। चुनावी मौसम में मोदी के इस अभियान से विरोधी दलों की रणनीति के लिए दिक्कतें हो सकती है।
वाराणसी से सांसद होने के कारण उत्तर प्रदेश से प्रधानमंत्री मोदी का विशेष रिश्ता है, लेकिन बीते एक माह में उनकी सक्रियता सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में ही रही है। उत्तर प्रदेश में फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में मोदी की इस सक्रियता का अलग महत्व है। मोदी के ये दौरे इसलिए भी अहम हैं, क्योंकि इसमें उन्होंने खेती, किसानी, सिंचाई, खाद, एक्सप्रेस वे, रक्षा से लेकर तमाम परियोजनाओं को पूरा कर समर्पित किया है। इसमें भी हाल का 13-14 दिसंबर का दिव्य व भव्य काशी की परिकल्पना को साकार करने वाले काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्धाटन सबसे अहम है।
विपक्ष की धार को कुंद करने की कोशिश
मोदी के इन धुआंधार दौरों के चलते चुनावी मौसम में योगी सरकार को घेर रहे विपक्ष को कुछ दिक्कतें हो सकती हैं। सबसे ज्यादा असर मीडिया में जगह को लेकर हो सकती है। साथ ही जनता में भी चर्चा में बदलाव आ सकता है। विपक्ष और उसके नेताओं को जो जगह मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिल पाएगी। बीते एक माह में उत्तर प्रदेश में मोदी और योगी के साथ उद्घाटनों की ही चर्चा है। सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे विपक्षी दलों को अपनी बातों को प्रभावी ढंग से रखने का मौका ही नहीं मिल पा रहा है। भाजपा की कोशिश है कि चुनावों तक इसी तरह का माहौल बनाए रखा जाए, जिसमें विपक्ष को ज्यादा मौका नहीं मिल पाए।
नए हालात में भी सक्रिय हैं मोदी
मोदी को प्रधानमंत्री बने सात साल हो गए हैं। इस दौरान देश के हर राज्य में चुनाव हुए हैं। उत्तर प्रदेश में भी 2017 में चुनाव हुए थे, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की इतनी अधिक सक्रियता तब भी नहीं थी। हालांकि उस समय उत्तर प्रदेश में पार्टी ने कोई चेहरा नहीं रखा था। ऐसे में अमित शाह की रणनीति में मोदी के इर्दगिर्द ही चुनावी तामझाम था, लेकिन अब उसके पास मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का चेहरा है, इसके बावजूद मोदी की सक्रियता को काफी अहम माना जा रहा है। इसकी एक वजह यह भी है कि उस समय सरकार कामों की शुरुआत कर रही थी और अब उनको पूरा कर लोगों को समर्पित कर रही थी। इसलिए भी इसका अलग महत्व है। राजनीतिक दृष्टि से भी इसका अलग महत्व है। एक तरह से मोदी खुद ही अभियान का नेतृत्व करते नजर आ रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उत्तर प्रदेश के चुनावी समीकरणों में कांग्रेस व बसपा का कमजोर होना भाजपा के लिए दिक्कतें बढ़ा सकता है। इसमें भाजपा विरोधी चाहे अनचाहे सपा के साथ आ सकते हैं। इसलिए भाजपा को अपनी ताकत और ज्यादा बढ़ाने की जरूरत है और वह काम सिर्फ मोदी ही कर सकते हैं।
क्या अन्य राज्यों में भी होगी ऐसी रणनीति ?
सबसे अहम सवालों में एक सवाल यह भी है कि प्रधानमंत्री मोदी की उत्तर प्रदेश में जो सक्रियता है, वहा क्या आगे आने वाले अन्य राज्यों के चुनाव में भी होगी? क्योंकि आने वाले चुनाव भी चुनौती भरे होंगे। क्या यह भाजपा की नई रणनीति का हिस्सा है। इस पर भाजपा फिलहाल साफ-साफ कुछ भी नहीं कह रही है। उसका कहना है कि हर चुनाव अलग होता है और रणनीति भी अलग होती है। राजनीति में आमतौर पर मुख्यमंत्री रहते मोदी के गुजरात मॉडल की चर्चा होती रही है, लेकिन अब मोदी ने भव्य व दिव्य काशी के जरिए एक और नई चर्चा शुरू की है। मोदी के साथ भाजपा के सभी मुख्यमंत्रियों की काशी में बैठक भी महत्वपूर्ण है। यह भाजपा के अन्य राज्यों को संदेश देने के साथ यह बताना भी है कि मोदी के लिए उनका संसदीय क्षेत्र वाराणसी कितना अहम है।