सुको के फैसले पर ओबीसी संगठनों ने मंत्री के बंगले में बैठक कर सरकार को सुनाई खरी-खरी

जबलपुर
ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए ताजा निर्णय के बाद राज्य सरकार भले ही कांग्रेस या अन्य किसी पर आरोप लगा रही हो, लेकिन ओबीसी के 18 से अधिक संगठनों ने  भोपाल में मंत्री भूपेंद्र सिंह की उपस्थिति में उन्ही के निवास पर बैठक कर राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष और विधायक गौरीशंकर बिसेन सहित उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव और खनिज संसाधन मंत्री बृजेंद्र सिंह को खरी-खरी सुना दी।

खबर है कि ओबीसी के प्रतिनिधियों ने स्पष्ट रूप से इन मंत्रियों से कह दिया कि सुप्रीम कोर्ट में जिस याचिका पर जो रिलीफ मांगी ही नहीं गई उस बिंदु पर ऐसा असंवैधानिक फैसला सुप्रीम कोर्ट ने कैसे सुना दिया जबकि मध्यप्रदेश शासन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में 170 से अधिक शासकीय अधिवक्ता सहित दो-दो एडिशनल एडवोकेट जनरल नियुक्त हैं जिन्होने राज्य की सरकार का पक्ष ही ठीक ढंग से नहीं रखा, न ही स्टेट इलेक्शन कमीशन का वकील अपनी बात रख पाया। इसलिए कमी मध्यप्रदेश सरकार की ओर से है जिसे स्वीकार कर 15 दिन के भीतर सुप्रीम कोर्ट द्वारा ही निर्धारित थ्री-लेयर टेस्ट की रिपोर्ट कॉल कर स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण को प्रतिस्थापित किया जाए।

सूत्रों के मुताबिक ऐसा दावा किया जा रहा है कि इस बैठक में किसी भी राजनीतिक दल को लेकर ओबीसी के प्रतिनिधियों ने कोई टिप्पणी नहीं की है,लेकिन राज्य सरकार, इलेक्शन कमीशन सहित महाधिवक्ता दफ्तर पर अनेक सवालिया निशान लगाए गए हैं। ओबीसी संगठनों की इस बैठक में सुप्रीम कोर्ट पर संविधान से इतर असंगत निर्णय देने का आरोप भी लगाया गया है और जजों के विरुद्ध महाभियोग की कार्रवाई करने के लिए आगे बढ़ने सरकार से मांग की गई है। बैठक में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय अनुच्छेद Þ124(4) के तहत संविधान का ही उल्लंघन है। बैठक में हाईकोर्ट में इन याचिकाओं में विशेष अधिवक्ता के रूप में नियुक्त जबलपुर के रामेश्वर सिंह ठाकुर सहित ओबीसी वर्ग से आने वाले अनेक सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी, विभिन्न जनप्रतिनिधि, प्रोफेसर आदि लगभग सौ से अधिक प्रतिनिधि शामिल रहे।

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