ट्रेलर न बन जाएं निकाय चुनाव के नतीजे, सतर्क बीजेपी ने चुनावी राज्यों में वर्करों को दिया ‘खास निर्देश’

नई दिल्ली

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले कर्नाटक और चंडीगढ़ में स्थानीय निकायों के चुनाव में लगे झटके के बाद भाजपा सतर्क हो गई है। पार्टी आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अपने कार्यकर्ताओं को पूरी तरह मुस्तैद करने के साथ जनता के बीच भी अपना सीधा संपर्क बढ़ा रही है। इन राज्यों को माहौल से ज्यादा जनता के बीच जाकर सीधा संवाद करने को कहा गया है।

भाजपा के लिए पंजाब और चंडीगढ़ के नतीजे इसलिए भी अहम हैं, क्योंकि कर्नाटक में भाजपा की अपनी सरकार है, जबकि चंडीगढ़ नगर निगम में भाजपा का ही मेयर था। पार्टी इन नतीजों का आकलन तो कर ही रही है लेकिन मोटे तौर पर इसे कार्यकर्ताओं और समर्थक वर्ग की उदासी के साथ सत्ता विरोधी माहौल के रूप में भी माना जा रहा है। चूंकि फरवरी में ही पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए पार्टी को इन राज्यों में जनता के बीच ज्यादा घनिष्ठता से संवाद और संपर्क करना होगा।

हालांकि बड़े स्तर पर हो रही रैलियों, सभाओं और कार्यक्रमों से उसका माहौल तो बना हुआ है, लेकिन यह माहौल घर-घर तक पहुंचे और उसका पहले की तरह समर्थन बरकरार रहे इसकी कोशिश की जा रही है। संगठन स्तर पर पार्टी ज्यादा सक्रिय है और उसने चुनाव वाले राज्यों में स्थानीय इकाइयों को विशेष जिम्मेदारी सौंपी है। इन राज्यों में पार्टी ने दूसरे राज्यों के तमाम नेताओं को बेहतर प्रबंधन के लिए जुटाया है। ऐसे में स्थानीय नेता और कार्यकर्ताओं के पास लोगों के बीच जाकर संवाद करने का ज्यादा अवसर भी है।
 
कर्नाटक में कांग्रेसी उत्साहित
कर्नाटक में आए नतीजे विपक्षी कांग्रेस के लिए उत्साहवर्धक हैं। इसके अलावा भाजपा के लिए भी यह भावी स्थितियों को संभालने के लिए बड़ा संकेत है। राज्य में लंबे समय तक पार्टी पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येद्दुरप्पा के इर्द-गिर्द रही है। अब उनके मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद राज्य में दिक्कतें बढ़ी हैं। नए मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई सुलझे हुए नेता है, लेकिन उन पर पार्टी के सभी नेताओं को साथ लेकर और उनके समर्थकों को भी एकजुट रखकर काम करने की जिम्मेदारी है। हालांकि संगठन स्तर पर कमी महसूस की जा रही है। हाल में पार्टी महासचिव और राज्य के प्रभारी अरुण सिंह ने कर्नाटक का दौरा भी किया है और सारी स्थिति का जायजा लिया है। इसे देखते हुए आने वाले दिनों में पार्टी संगठनात्मक स्तर पर कुछ जरूरी कदम उठा सकती है।
 

पंजाब में और मेहनत करने की जरूरत
चंडीगढ़ के निकाय नतीजों का सीधा असर पंजाब के विधानसभा चुनाव पर पड़ सकता है। हालांकि पंजाब में भाजपा पहले से ही बड़ी ताकत नहीं है, लेकिन वह इस बार वह अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रही है। ऐसे में उसे अपने समर्थक वर्ग खासकर शहरी मतदाताओं के बीच और ज्यादा मेहनत करने की जरूरत होगी। चंडीगढ़ से इस बात के संकेत तो मिले ही हैं कि आम आदमी पार्टी चंडीगढ़ और पंजाब में काफी तेजी से अपने पैर पसार रही है। इससे भविष्य में भाजपा के लिए दिक्कतें और बढ़ सकती हैं। खासकर आने वाले लोकसभा चुनाव में। आम आदमी पार्टी को पंजाब से सफलता मिलती रही है, ऐसे में भाजपा को अगले 2 सालों में चंडीगढ़ व पंजाब के लिए नई रणनीति बनानी पड़ सकती है, ताकि लोकसभा चुनाव में वह बेहतर प्रदर्शन कर सके।

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