यूपी के लिए बीजेपी ने खोजा जीत का मंत्र, उम्मीदवारों के चयन में ओबीसी फैक्टर, त्रिस्तरीय फॉर्मूला

नई दिल्ली
उत्तर प्रदेश में भाजपा उम्मीदवारों के चयन में सवर्ण समुदायों को साधने के साथ-साथ अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) फैक्टर पर भी खासा ध्यान दिया जा रहा है। पार्टी राज्य में छोटे सहयोगी दलों के साथ भी ओबीसी वर्ग के लिए विशेष रणनीति बना रही है। अपना दल और निषाद पार्टी ओबीसी समुदायों का प्रतिनिधित्व करती हैं। ऐसे में भाजपा को इसका भी लाभ मिलने की संभावना है। भाजपा नेतृत्व राज्य में जनविश्वास यात्राओं के समापन के बाद उम्मीदवारों के चयन का काम शुरू कर देगा। सनद रहे है कि भाजपा ने अपनी प्रदेशव्यापी जनविश्वास यात्राओं के दौरान हर विधायक और हर क्षेत्र के राजनीतिक व सामाजिक समीकरणों को लेकर काफी जानकारी हासिल की है। पार्टी ने संगठन और अन्य स्रोतों से भी क्षेत्र का डाटा एकत्रित किया है, जो उम्मीदवारों के चयन में काफी काम आएगा।

सूत्रों के अनुसार, भाजपा नेतृत्व राज्य में पिछड़ा वर्ग समुदाय की ताकत और संख्या को देखते हुए इस समुदाय को टिकटों के आवंटन में काफी वरीयता देगा। हालांकि, यादव समुदाय के समाजवादी पार्टी के परंपरागत समर्थक वर्ग होने के कारण भाजपा का फोकस अन्य पिछड़ा वर्ग समुदायों पर ज्यादा रहेगा। राज्य में भाजपा को कुर्मी और लोध समुदायों का पहले भी काफी समर्थन मिलता रहा है और इस बार भी उसे इन दोनों समुदायों से काफी उम्मीद है। इसके अलावा सहयोगी दलों अपना दल और निषाद पार्टी के साथ रहने से भी उसे पिछड़ा वर्ग समुदायों का समर्थन हासिल हो सकता है। इन दोनों सहयोगी दलों के उम्मीदवार तय करने में भी भाजपा की राय अहम होगी, ताकि हर सीट का गणित सही तरह से बनाया जा सके। भाजपा की रणनीति में सवर्ण समुदाय भी अहम है। खासकर ब्राह्मण समुदाय, जिसको साधने की पार्टी हरसंभव कोशिश कर रही है। इसके लिए राजनीतिक और सामाजिक तौर-तरीकों को अपनाने के साथ प्रशासनिक माध्यम से भी संदेश देने की कोशिश की जा रही है।

त्रिस्तरीय फार्मूला बनाया
उम्मीदवार तय करने के लिए भाजपा ने त्रिस्तरीय फार्मूला तैयार किया है। जिलों से आने वाले नामों के पैनल पर राज्य की चुनाव समिति और कोर ग्रुप विचार करेगा। इसके बाद प्रदेश का कोर ग्रुप दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ एक-एक सीट को लेकर चर्चा करेगा। इसमें चुनिंदा केंद्रीय नेताओं के साथ कोर ग्रुप की बैठक होगी। अधिकांश नाम यहां पर ही तय कर लिए जाएंगे, जिन्हें बाद में केंद्रीय चुनाव समिति की मुहर लगाने के लिए भेजा जाएगा।

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