रानी कमलापति स्टेशन के खिलाफ याचिका जुर्माने सहित निरस्त

जबलपुर
 हाई कोर्ट ने राजधानी भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन के नाम के खिलाफ दायर जनहित याचिका निरस्त कर दी। प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व न्यायमूर्ति सुनीता यादव की युगलपीठ ने कहा कि हाई कोर्ट के बहुमूल्य समय का दुरुपयोग किया गया है। इस मत के साथ जनहित याचिकाकर्ता पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। इस राशि का सदुपयोग कोरोना से बचाव के लिए आवश्यक सामग्री क्रय करने में किया जाएगा।

सिवनी जिले के कुरई निवासी वकील अहमद सईद कुरैशी की ओर से याचिका दायर की गई। कहा गया कि 1973 में एक मुस्लिम गुरु हबीब मियां ने स्टेशन के लिए रेलवे को जमीन दान दी। तब से इसे हबीबगंज स्टेशन के नाम से जाना जाने लगा। लेकिन 12 नवम्बर, 2021 को केंद्र व राज्य सरकार की सहमति से रेलवे बोर्ड ने इस स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन कर दिया। अधिवक्ता गोपाल सिंह बघेल ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता ने इसके खिलाफ राष्ट्रपति को अभ्यावेदन देकर मुस्लिमों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की गुहार लगाई। राष्ट्रपति से आग्रह किया गया कि मुस्लिम धर्मावलंबियों की भावनाओं का आदर करते हुए स्टेशन का नाम पूर्ववत हबीबगंज किया जाना चाहिए। लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो कोर्ट की शरण ली गई। उपमहाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने याचिका का विरोध करते हुए स्टेशन के नामकरण को उचित बताया। उन्होंने कहा कि इतिहास के स्वर्णिम पलों की स्मृति सहेजने के लिए स्टेशन का नाम बदला गया है। अंतिम सुनवाई के बाद 17 जनवरी को हाई कोर्ट ने अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया था। गुरुवार को आदेश सुनाते हुए हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। कोर्ट ने एक माह के अंदर यह राशि हाई कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा करने के निर्देश दिए। इस राशि का सदुपयोग कोरोना से बचाव के लिए आवश्यक सामग्री क्रय करने में किया जाएगा।

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