27 साल बाद भारत को दूसरी बार मिली Miss World प्रतियोगिता की मेजबानी
नईदिल्ली
‘मिस वर्ल्ड’ की अगली प्रतियोगिता भारत में होगी। 8 जून को मिस वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशन ने इसकी घोषणा की। ऑर्गनाइजेशन ने कहा, “यह निर्णय देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, विविधता को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता और महिलाओं को सशक्त बनाने के जुनून को मान्यता देता है।” भारत में पहली बार मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता का आयोजन साल 1996 में हुआ था। दूसरी बार इस साल के अंत में होने जा रहा है। नवंबर/दिसंबर 2023 में होने वाले ग्रैंड फिनाले से एक महीने पहले प्रतिभागियों को शॉर्टलिस्ट करने के लिए कई राउंड होंगे। भारत की तरफ से मिस वर्ल्ड-2023 प्रतियोगिता में नंदिनी गुप्ता भाग लेंगी। राजस्थान के कोटा की रहने वालीं नंदिनी 19 साल की हैं।
क्या है मिस वर्ल्ड पेजेंट?
मिस वर्ल्ड पेजेंट (Beauty Contest) अपनी तरह की दुनिया की सबसे पुरानी प्रतियोगिताओं में से एक है। अमेरिका की पब्लिक ब्रॉडकास्टिंग सर्विस (PBS) के मुताबिक 1951 में इसे ब्रिटेन में लॉन्च किया गया था।
युद्ध (दूसरे विश्व युद्ध) के बाद के पुनर्निर्माण के साथ तालमेल बैठाते हुए, इस कार्यक्रम का आयोजन ब्रिटिश सरकार द्वारा आयोजित Festival of Britain में किया गया था। इसमें देश के सबसे नए औद्योगिक उत्पादों, तकनीकी खोजों और कलाओं को भी प्रदर्शित किया गया था।
आयोजकों ने फेस्टिवल में लोगों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए लंदन की एक एंटरटेनमेंट कंपनी मक्का लिमिटेड से संपर्क किया। कंपनी के पब्लिसिटी डायरेक्टर एरिक मॉर्ले ने फेस्टिवल के आयोजकों को तय कार्यक्रम में एक अंतरराष्ट्रीय सौंदर्य प्रतियोगिता (international beauty contest) को शामिल करने का सुझाव दिया।
मॉर्ले ने फैसला किया कि प्रतियोगिता में शामिल महिलाएं बिकनी पहनेंगी। लेकिन महिलाओं को बिकनी पहनाकर, उन्हें जज करने का आइडिया कई प्रतियोगी महिलाओं को ही रास नहीं आया। उन्होंने प्रतियोगिता से बाहर निकलने की धमकी दे दी। ऐसे में वन-पीस बाथिंग सूट को अपनाया गया।
तब ब्रिटिश प्रेस ने इस प्रतियोगिता को “मिस वर्ल्ड” का नाम दिया। इसकी सफलता ने इसे सालाना जलसे में बदल दिया। टेलीविज़न के उदय ने इसकी लोकप्रियता को और अधिक ऊंचाइयों तक पहुंचाया। पहली मिल वर्ल्ड स्वीडन की किकी हाकनसन थीं।
भारत की मेजबानी में क्या-क्या हुआ था?
1991 में भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के साथ बड़ी संख्या में विदेशी और प्राइवेट बिजनेस को देश में काम करने की अनुमति मिली। अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों ने इसे अपने विस्तार के लिए एक बड़े और नए बाजार के रूप में देखा। 1994 में मिस वर्ल्ड और मिस यूनिवर्स का खिताब क्रमशः दो भारतीय महिलाओं – ऐश्वर्या राय और सुष्मिता सेन ने जीता था। इससे भी भारत में ब्यूटी कॉन्टेस्ट की लोकप्रियता बढ़ी थी।
राधिका परमेस्वरन ने ‘ग्लोबल मीडिया इवेंट्स इन इंडिया: कॉन्टेस्ट ओवर ब्यूटी, जेंडर एंड नेशन’ शीर्षक से एक पेपर लिखा है, जिसमें उन्होंने बताया है कि भारत की मेजबानी में हुए कार्यक्रम पर कई बिजनेस और कंपनियों का प्रभाव देखने को मिला था। साबुन के निर्माताओं से लेकर क्रेडिट कार्ड कंपनियों तक कार्यक्रम के प्रायोजक (sponsors) थे।
हालांकि भारत द्वारा इस कार्यक्रम की मेजबानी करने का विचार अपने आप में एक महत्वपूर्ण घटना थी। यह कार्यक्रम अभिनेता अमिताभ बच्चन की कंपनी ‘अमिताभ बच्चन कॉरपोरेशन लिमिटेड (ABCL)’ द्वारा आयोजित किया गया था। बताया जाता है कि प्रतियोगिता के बाद कंपनी को लगातार वित्तीय घाटा हुआ है।
रीता फारिया 1996 में मिस वर्ल्ड जीतने वाली पहली भारतीय थीं। रीता तब 23 साल की थीं और बॉम्बे में मेडिकल की पढ़ाई कर रही थीं। वह ब्यूटी कॉन्टेस्ट जीतने वालीं पहली एशियाई भी थीं।
जमकर हुआ था विरोध प्रदर्शन
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1996 में मिस वर्ल्ड पेजेंट का आयोजन बेंगलुरु में हुआ था। तब भारत में इस कार्यक्रम के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन हुआ था। विरोध प्रदर्शन के तरीकों में आत्मदाह भी शामिल था। अलग-अलग तबका विरोध प्रदर्शन में कूद पड़ा था। नारीवादी समूहों ने इस तरह की प्रतियोगिताओं को महिलाओं के लिए अपमानजनक माना था। वहीं हिंदू राष्ट्रवादी ने शो को भारतीय संस्कृति पर पश्चिमी संस्कृति के हमले की तरह देखा। इसके बाद स्विमसूट प्रतियोगिता को सेशेल्स द्वीप समूह पर सूट करना पड़ा।
दक्षिणपंथी समूह इसलिए परेशान था क्योंकि उन्हें लग रहा था कि कार्यक्रम से भारतीय परंपरा का नुकसान हो रहा है। वेस्टर्न ट्रेडिशन का प्रभाव बढ़ रहा है। भारतीय महिलाएं एक्सपर्ट्स के जजमेंट के लिए अपनी सुंदरता का सार्वजनिक प्रदर्शन कर रही हैं।
वहीं दूसरी तरफ वामपंथी समूह भी कार्यक्रम के खिलाफ था। उनका सवाल था कि भारतीय महिलाओं और कामगारों के लिए वैश्वीकरण (Globalisation) और फ्री मार्केट के क्या मायने हैं। उनकी मांग थी कि इस तरह के कार्यक्रमों में गरीबी और सशक्तिकरण के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
नारीवादियों ने तो अपना विरोध दर्ज कराने के लिए बकायदा एक नकली प्रतियोगिता का ही आयोजन कर दिया, जिसमें “मिस पॉवर्टी, मिस होमलेस और मिस लैंडलेस” का ताज पहनाया गया। इन तमाम विरोध प्रदर्शनों के बावजूद भारत में कार्यक्रम का आयोजन हुआ। विरोध प्रदर्शन के दौरान एक व्यक्ति ने खुद को आग लगा ली थी, जिससे उसकी मौत हो गई।